Saturday, February 21, 2009

ज़िन्दगी कोई मुश्किल भी तो नहीं.....



तनहा ज़िन्दगी मुश्किल भी तो नहीं,
यादें गर मिट जाएँ जेहन से.
रेतीले बादल-सी ख्वाब
मेरे हर पल को जो बदलती रहे.
बर्फ से भी ज्यादा जमा है,
मेरे दिल का कोना-कोना.
खुले दरवाजे का अब डर नहीं,
कि ठंडी आहों का बवंडर
इस टूटे-से दिल से चुपचाप गुजर जायेगी.
हाँ ज़िन्दगी यूँ ही पलकों में बिसर जायेगी.
पल-पल में समायी हुई हर वो तमन्ना,
पन्नों-सी बिखर जायेगी; जब
आँधी कोई आएगी, हाँ तब मिट जायेगी.
बचे-खुचे जज्बातों को आंसू धो डालेंगे,
या नहीं तो फिर दिल की आग में जरूर ही जल जायेगे.
हाँ, यूँ ही बीत जायेगी, ज़िन्दगी
मेरी ज़िन्दगी, मुश्किल भी तो नहीं...
कोई धुंधली पड़ी कांच का टुकड़ा तो नहीं,
जो हाथ फिराने से दुबारा दिख पड़ेगी;
कफ़न भी उड़ जायेगा चेहरे से मेरे
आँखों को पढ़ने से पहले ऐसे मैं बंद कर लूँगी.
हाँ, जिंदगी मुश्किल भी तो नहीं...
मुश्किल तो मौत को आने में है,
दरमियां अभी कई पल बाकी है जिसके;
पल जो सब ये बीत जायें तो,
ज़िन्दगी कोई मुश्किल भी तो नहीं.....

1 comment:

vinay sehra said...

behtarin rachna....
aapki saari rachnaye dil ko chuu lene wali hai